160 वां पं.गुरुदत्त विद्यार्थी जन्मोत्सव धूमधाम से सम्पन्न
पं.गुरुदत्त विद्यार्थी महर्षि दयानन्द के प्रथम संदेश वाहक रहे-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
भारत को बचाने के लिए प्रत्येक आर्य समाज में गुरुकुल खोलने होंगे-आचार्य वाचस्पति
गुरु शिष्य बन गया शिष्य गुरु-माया प्रकाश त्यागी
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् उत्तर प्रदेश एवं आर्य समाज हापुड़ के संयुक्त तत्वावधान में वेद प्रचारक, महान मनीषी,महर्षि दयानन्द सरस्वती के अनन्य भक्त पं. गुरुदत्त विद्यार्थी का 160 वाँ जन्मोत्सव आर्य समाज हापुड़ में धूमधाम से सम्पन्न हुआ।धर्माचार्य आचार्य धर्मेन्द्र शास्त्री के ब्रह्मत्व में यज्ञ संपन्न हुआ।मुख्य यज्ञमान श्रीमती आशा एवं श्री सत्यपाल आर्य,रेखा गोयल एवं मदन गोयल रहे।
आर्य समाज के प्रधान पवन कुमार आर्य ने ध्वजारोहण कर पं. गुरुदत्त विद्यार्थी जन्मोत्सव समारोह का उद्घाटन किया।
भजनोपदेशक ओमपाल शास्त्री, एवं मास्टर विजेन्द्र आर्य द्वारा प्रस्तुत दयानन्द महिमा एवं ईश भक्ति के गीतों को सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी एक युवा दार्शनिक विद्वान् थे जिन्होंने छबीस वर्ष की अल्पायु में ही अनेक भाषाओं व विषयों का समयक ज्ञान प्राप्त कर लिया था, उसे देख कर बड़े-बड़े विद्वान चकित रह जाते थे।पंडित जी गूढ़ से गूढ़ प्रश्न का उत्तर सरलता से देते थे।दार्शनिक गुत्थी उनके समक्ष गुत्थी ही न रहती।इस नवयुवक के एक वर्ष के कार्य एवं उपलब्धियाँ महापुरुषों में उच्च स्थान दिलवाने के लिए पर्याप्त हैं, आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के बाद प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने उनकी विचार धारा को आगे प्रचारित व प्रसारित किया।आज के युवाओं को उनका अनुसरण करना चाहिए।
मुख्य अतिथि आर्य नेता माया प्रकाश त्यागी ने कहा कि अद्भुत प्रतिभा के धनी पं.गुरुदत्त विद्यार्थी ने स्वामी अच्युता नंद गुरु को भी शिष्य बना लिया था,शिष्य-वैदिक संस्कृति की रक्षा के लिए पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी जी ने आर्यसमाज में विद्वानों की जरूरत समझी।अतः गुरुदत्त विद्यार्थी जी ने स्वामी अच्युतानन्द को (जो नवीन वेदांती थे) आर्यसमाजी (आर्य सन्यासी) बनाने के लिए ठान लिया।इसके लिए गुरुदत्त जी उनके शिष्य बनकर उनके पास जाया करते थे।फिर क्या हुआ समय बदला गुरु शिष्य बन गया और शिष्य गुरु।स्वामी अच्युता नन्द कहा करते थे, “पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी का सच्चा प्रेम,अथाह योग्यता और गुण हमें आर्यसमाज में खींच लाया।”
मुख्य वक्ता आचार्य वाचस्पति (अध्यक्ष उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान,लखनऊ) ने नमस्कार मंत्र बोलकर कहा कि ऋषि दयानन्द ने जो पद्धति शिक्षा विषय पर बताई थी कि जब तक गुरुकुल नहीं खोलोगे तुम्हारा उद्धार नहीं होगा।संसार की सब भाषाएं संस्कृत का अपभ्रंश हैं।शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाकर संस्कृत और वेदों को पढ़ाओ,वेदों में विज्ञान है।भारत को बचाने के लिए प्रत्येक आर्य समाज में गुरुकुल खोलो, वेद और आर्ष ग्रंथों का पठन पाठन शुरू करो तभी गुरुदत्त विद्यार्थी का जन्मोत्सव मनाना सार्थक होगा।
आर्य युवा नेता देवेन्द्र आर्य 'आर्यबंधु' विशिष्ठ अतिथि ने कहा कि ऐसे मनीषियों के कारण ही आर्य समाज का प्रचार प्रसार हुआ है।
स्वागताध्यक्ष डा विकास अग्रवाल (क्षेत्रीय महामंत्री भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश) ने कहा कि गुरुदत्त विद्यार्थी का संस्कृत से अद्वितीय लगाव ही युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है।
इस अवसर पर सर्वश्री महेन्द्र भाई,प्रवीण आर्य आदि ने भी अपने विचार रखे एवं मुख्य रूप से सर्वश्री अशोक कुमार आर्य, सुभाष चन्द आर्य,नरेन्द्र कुमार आर्य, बिजेंद्र कुमार गर्ग,सुरेंद्र कुमार गुप्ता,चमन सिंह शिशोदिया,सुरेश सिंघल,श्रीमती मृदुल अग्रवाल,सुषमा गुगलानी आदि उपस्थिति रहे।
समारोह की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने की व मंच का कुशल संचालन केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रांतीय अध्यक्ष आनंद प्रकाश आर्य ने किया।समाज के मंत्री संदीप आर्य ने सभी का आभार व्यक्त किया।
*प्रवीण आर्य प्रान्तीय अध्यक्ष मनोनीत*
इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश की नई कार्यकारिणी की घोषणा करते हुए प्रवीण आर्य प्रांतीय अध्यक्ष, अनुपम आर्य प्रांतीय महामंत्री, और डा प्रमोद सक्सैना को प्रांतीय कोषाध्यक्ष मनोनित किया।
जिला अध्यक्ष यज्ञवीर चौहान, मंत्री सुरेश आर्य,अमित शर्मा, संदीप आर्य,सौरभ गुप्ता, श्रीमती वीना आर्य,प्रतीभा भूषण,राकेश गुप्ता आदि ने समारोह को सफल बनाने में भरपूर सहयोग किया।
शांतिपाठ एवं ऋषि लंगर के साथ समारोह संपन्न हुआ।