भारतीय नववर्ष विक्रम 2081 पिंगल नामक सम्वत्सर का श्रीगणेश होगा।, जानिए गुडी पड़वा एवं नवरात्री विशेष ज्योतिर्विद राघवेंद्ररविश राय गौड़ से :-
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 9 अप्रैल दिन मंगलवार को है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में नव विक्रम संवत्सर-2081 और चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी। इस वर्ष प्रारंभ हो रहे संवत का नाम 'पिंगल' है।
इस साल ग्रह मंडल का राजा 'मंगल' और मंत्री 'शनि' होंगे।
इनके असर से कई क्षेत्रों में परेशानियां बढ़ेंगी, लेकिन रियल एस्टेट, सिनेमा, रंगमंच, शिक्षा व्यवस्था, नारी शक्ति और अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। ऑटोमोबाइल, तकनीक, दूरसंचार, कंप्यूटर, रोबॉटिक्स और AI के लिहाज से भी यह नया साल शुभ होगा।
इस उपाय से वर्षभर रहती है आरोग्यता
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल रात 11:52 बजे से 9 अप्रैल रात 8:33 बजे तक रहेगी। इस तरह उदया तिथि के मुताबिक नव संवत्सर 9 अप्रैल को शुरू होगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग रहेंगे। इस दिन नए वर्ष के पंचांग का पूजन कर वर्षफल सुना जाता है। निवास स्थानों पर ध्वजा और बंदनवार लगाए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन नीम के नए कोमल पत्तों, जीरा, काली मिर्च, हींग, नमक पीसकर खाने से वर्ष भर अरोग्यता रहती है।
क्यू मनाते हे नव वर्ष :-
ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की सरचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी. इसलिए पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरू हो जाता है. इसे नव संवत्सर भी कहा जाता है.
गुड़ी पड़वा से संबंधित कुछ तथ्य :
1-नव संवत्सर के राजा
09 अप्रैल 2024 से हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2081 की शुरूआत हो रही है। इस नव वर्ष के प्रथम दिन के स्वामी को पूरे वर्ष का स्वामी माना जाता है। हिंदू नववर्ष की शुरुआत मंगलवार से आरंभ हो रही है इस कारण से नए विक्रम संवत के स्वामी मंगलदेव होंगे।
2-सृष्टि के निर्माण का दिन
धार्मिक मान्यता के अनुसार गुड़ी पड़वा के दिन ही ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना का कार्य आरंभ किया था और सतयुग की शुरुआत इसी दिन से हुई थी। यही कारण है कि इसे सृष्टि का प्रथम दिन या युगादि तिथि भी कहते हैं। इस दिन नवरात्रि घटस्थापन, ध्वजारोहण, संवत्सर का पूजन इत्यादि किया जाता है।
3-वानरराज बाली पर विजय
रामायण काल में जब भगवान राम की मुलाकात सुग्रीव से हुई तो उन्होंने श्री राम को बाली के अत्याचारों से अवगत कराया। तब भगवान राम ने बाली का वध कर वहां के लोगों को उसके कुशासन से मुक्ति दिलाई। मान्यता है कि यह दिन चैत्र प्रतिपदा का था। इसलिए इस दिन गुड़ी या विजय पताका फहराई जाती है।
4-शालिवाहन शक संवत
एक ऐतिहासिक कथा के अनुसार शालिवाहन नामक एक कुम्हार के लड़के ने मिट्टी के सैनिकों की सेना बनाई और उस पर पानी छिड़ककर उनमें प्राण फूँक दिए और इस सेना की मदद से दुश्मनों को पराजित किया। इस विजय के प्रतीक के रूप में शालिवाहन शक संवत का प्रारंभ भी माना जाता है।
5-हिंदू पंचांग की रचना का काल
प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री ने अपने अनुसन्धान के फलस्वरूप सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीने और वर्ष की गणना करते हुए हिंदू पंचांग की रचना की थी। इस दिन उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर विक्रम संवत का प्रवर्तन किया था। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था, इसी दिन से रात्रि की अपेक्षा दिन बड़ा होने लगता है।
6-भगवान राम लौटे थे अयोध्या
धर्म शास्त्रों की मान्यताओं के अनुसार गुड़ी पड़वा के दिन ही भगवान राम ने रावण का वध करके माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने राज्य अयोध्या लौटे थे।
7-पहली बार छत्रपति शिवाजी ने मनाया था यह पर्व
ऐसी मान्यता है कि मुगलों से युद्ध करने के बाद जब मराठों के राजा छत्रपति शिवाजी की जीत हुई थी तब शिवाजी ने पहली बार गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया था। तभी से महाराष्ट्र में सभी लोग इस त्योहार को बड़े ही उत्साह और जोश के साथ मनाते आ रहे हैं।
8-फसल की पूजा करने का महत्व
गुड़ी पड़वा पर मराठियों के लिए नया हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन लोग फसलों की पूजा आदि भी करते हैं।
9-नीम के पत्ते खाने की परंपरा
ऐसी परंपरा है कि गुड़ी पड़वा पर लोग नीम के पत्ते खाते हैं। मान्यता है कि गुड़ी पड़वा पर नीम की पत्तियों का सेवन करने से खून साफ होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
10- सूर्यदेव की पूजा का महत्व
गुड़ी पड़वा पर सूर्यदेव की विशेष पूजा आराधना की जा जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग गुड़ी पड़वा पर सूर्यदेव की उपासना करते हैं उन्हे आरोग्य, अच्छी सेहत और सुख- समृद्धि मिलती है।
चेत्र नवरात्री पर्व :-
सनातन धर्म में नवरात्र के पर्व को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू होंगे और 17 अप्रैल को समापन होगा। ऐसे में 09 अप्रैल को घटस्थापना कर मां दुर्गा की विशेष पूजा कर सकते हैं।
चैत्र नवरात्रि 2024 तिथि वर्णन
09 अप्रैल 2024 - घटस्थापना,
मां शैलपुत्री की पूजा
10 अप्रैल 2024 - मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
11 अप्रैल 2024 - मां चंद्रघंटा की पूजा
12 अप्रैल 2024 - मां कुष्मांडा की पूजा
13 अप्रैल 2024 - मां स्कंदमाता की पूजा
14 अप्रैल 2024 - मां कात्यायनी की पूजा 15 अप्रैल 2024 - मां कालरात्रि की पूजा 16 अप्रैल 2024 - मां महागौरी की पूजा 17 अप्रैल 2024 - मां सिद्धिदात्री की पूजा, राम नवमी
चैत्र नवरात्रि 2024 दिवस अनुसार नौ देवियों के लिए भोग
नवरात्रि का पहला दिन: मां शैलपुत्री को गाय के घी का भोग लगाएं. रोग, दोष एवं संकट दूर होंगे.
नवरात्रि का दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर या पंचामृत का भोग लगाएं. लंबी उम्र का आशीष मिलेगा.
नवरात्रि का तीसरा दिन: मां चंद्रघंटा दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं. धन एवं वैभव में वृद्धि होगी.
नवरात्रि का चौथा दिन: मां कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाएं. मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.
नवरात्रि का पाचवां दिन: मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं. करियर में सफलता एवं रोग दूर होते हैं.
नवरात्रि का छठां दिन: मां कात्यायनी मीठा पान चढ़ाएं. सौंदर्य एवं सकारात्मकता बढ़ेगी.
नवरात्रि का सातवां दिन: मां कालरात्रि को गुड़ से बने पकवान का भोग लगाएं. आरोग्य प्राप्त होगा.
नवरात्रि का आठवां दिन: देवी महागौरी को नारियल का भोग लगाएं. आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.
नवरात्रि का नौवां दिन: मां सिद्धिदात्री हलवा, पूड़ी एवं चना का भोग लगाएं. सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी.
देवी पुराण (भागवत्) के वर्णन के अनुसार करें राशि अनुरूप माँ भगवती की पूजा,
मेष राशि के व्यक्ति मां भगवती के स्वरूप स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। साथ ही उनको लाल फूल और दूध या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें और दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करना उत्तम रहेगा। ऐसा करने से मां की आशीर्वाद हमेशा आप पर बना रहेगा और सभी संकटों से मुक्ति भी मिलेगी।
वृषभ राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा करें और उनको सफेद चंदन, सफेद फूल और पंचमेवा अर्पित करें। मां को सफेद बर्फी और मिश्री का भोग लगाना चाहिए। साथ ही ललिता सहस्त्रनाम और सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी सभी समस्याओं का अंत होगा।
मिथुन राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की फूल, केला, धूप, कपूर से पूजा करें। नवरात्र के दिनों में तारा कवच का हर रोज पाठ करें और ओम शिव शक्त्यै नम: मंत्र का 108 बार जप करें। ऐसा करने से आपकी हर मनोकामना पूरी होगी और घर में सुख-शांति का वास रहेगा।
कर्क राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करें। साथ ही मां को बताशा, चावल और दही का अर्पण करें। नवरात्र में हर रोज लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ करें। और दूध से बनी मिठाई को भोग लगाएं। ऐसा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और सभी रोगों से मुक्ति मिलती है।
सिंह राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के कूष्माण्डा देवी स्वरूप की पूजा व उपासना करें और उनको रोली, चंदन और केसर अर्पित करें व कपूर से आरती उतारें। साथ ही दुर्गा सप्तशति का पाठ हर रोज करें और मां के मंत्र की कम से कम सुबह-शाम 5 माला का जप अवश्य करें। ऐसा करने से आपको सभी क्षेत्रों में सफलतता मिलेगी।
कन्या राशि के व्यक्ति मां भवानी के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा करें और मां को फल, पान पत्ता, गंगाजल अर्पित करें। दुर्गा चालिसा का पाठ करें और हर रोज एक माला लक्ष्मी मंत्रों का जप करें। साथ ही मां को खीर का भोग लगाएं। ऐसा करने से व्यापार व नौकरी की समस्या खत्म होगी और कोष में वृद्धि होगी।
तुला राशि के व्यक्ति मां भगवती के महागौरी स्वरूप की पूजा करें और उनको लाल चुनरी उठाएं और देसी घी से बनी मिठाई और मिश्री का भोग लगाएं। साथ ही कपूर व देसी घी से आरती उतारें। साथ ही नवरात्र में दुर्गा सप्तशती के प्रथम चरित्र का पाठ करें। ऐसा करने से आपकी घर-परिवार में सुख-शांति का वास होगा।
वृश्चिक राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के मां कालरात्रि स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। साथ ही उनको गुड़हल के फूल, गुड़ और चंदन अर्पित करें। मां कालरात्रि की सुबह-शाम कपूर से आरती उतारें और हर रोज दुर्गा सप्तमी का पाठ करें। ऐसा करने से घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी और सकारात्मक ऊर्जा का वास होगा।
धनु राशि के व्यक्ति मां भवानी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। मां को नवरात्र में हर रोज पीले फूल, हल्दी, केसर और तिल का तेल अर्पित करें और श्रीरामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें। साथ ही केला व पीली मिठाई का भोग लगाएं। ऐसा करने से कारोबार की समस्या खत्म होगी और हर संकट से मुक्ति मिलेगी।
मकर राशि के जातक मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करें और उसको लाल फूल व कुमकुम अर्पित करें। नवरात्र में हर रोज नर्वाण मंत्र का जप करें। साथ ही मां को नारियल से बनी मिठाई का भोग लगाएं। ऐसा करने से आपको मां का आशीर्वाद प्राप्त होगा और मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी।
कुंभ राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। मां को नवरात्र में हर रोज लाल फूल, कुमकुम, फल अर्पित करें और तेल का दीपक जलाएं। साथ ही हलवा का भोग लगाएं और देवी कवच का पाठ करें। ऐसा करने से बुरी नजर से मुक्ति मिलेगी और आमदनी में बढ़ोतरी होगी।
मीन राशि के व्यक्ति मां भवानी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करें और मां को हल्दी, चावल, पीले फूल और केले के साथ पूजन करें। नवरात्र में हर रोज दुर्गा सप्तशति का पाठ करें और बगलामुखी मंत्र का एक माला जप करें। ऐसा करने से आपको हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी और सभी परेशानियों का अंत होगा।
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽतूस्तूते।
अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नंदी न्नुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥
राघवेंद्ररविश राय गौड़
ज्योतिर्विद
9926910965