गुरुग्राम, सेक्टरों की आरडब्ल्यूएज के पास आय का कोई स्रोत नहीं होता। नाममात्र की फीस होने के बाबजूद कुछ ही निवासी आरडब्ल्यूए के मेंम्बर बनते हैं सुरक्षा के लिए सिक्योरिटी व सीसी टीवी कैमरों पर होने वाली खर्चे की राशि में भी कुछ ही लोग मेंटेनेंस राशि के रूप में सहयोग करते हैं। क्योंकि सेक्टरों की आरडब्ल्यूएज के पास मेन्टेनेंस राशि नहीं देने वाले निवासियों पर किसी भी तरह की सख्त कार्यवाही करने के अथवा जुर्माना बसूल करने के (सोसायटियों की भांति) कोई भी अधिकार नहीं होते! इसलिए निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहीं शहर की सैकड़ों आरडब्ल्यूएज को भी विधायक व पार्षद की भांति ही खर्चों के लिए नगर निगम से अथवा सरकार से कुछ फंड्स / धनराशि निर्धारित किए जाने चाहिए।
पूर्वप्रधान आरडब्ल्यूए सैक्टर चौदह दिनेश अग्रवाल ने कहा कि इससे आरडब्लूए अपने रोजमर्रा के छोटे-मोटे कार्य जैसे टूट-फूट, गड्ढ़े, मेंटेनेंस पार्कों में वेल्डिंग आदि के कार्य झूलों की रिपेयरिंग इत्यादि (जो कि तुरन्त ठीक होने चाहिए) के जानकारी में आते ही इनको अपनी देखरेख में तुरंत प्रभाव से ठीक करवा सकेंगे और इस प्रकार के छोटे-छोटे कार्यो के लिए भी नगर निगम अथवा एचएसवीपी पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। उचित निगरानी के कारण पैसे का सदुपयोग करते हुए बहुत कम पैसे में ठीक समय पर अच्छे कार्य हो सकेंगे वहीं नगर निगम का समय और पैसा और लेबर सबकी बड़ी बचत भी होगी।
पूर्वपार्षद एवं पूर्वप्रधान आरडब्ल्यूए एस के गुप्ता सहित रि० आईआरएस वरिष्ठ एडवोकेट कल्याण सिंह शर्मा के अनुसार आरडब्लूए द्वारा अपनी आय के लिए बनाए गए स्रोतों पर नगर निगम व एचएसवीपी को सहयोग करना चाहिए आरडब्लूए द्वारा अपने क्षेत्र में लगाए गए विज्ञापन के बोर्डों को नगर निगम द्वारा अथवा एचएसवीपी द्वारा हटाया भी नहीं जाना चाहिए इनकी आय से ही आरडब्ल्यूए अपने क्षेत्रों में सुरक्षा के अच्छे प्रबंध कर पाते हैं।
महालक्ष्मी मन्दिर ट्रस्टी गुरुप्रसाद गुप्ता, ट्रस्टी सतीश अग्रवाल, एग्जिक्यूटिव मेंम्बर आरडब्ल्यूए संजय अग्रवाल, उद्योगपति प्रवीण मित्तल, अनिल अग्रवाल, आशु अग्रवाल, राजेश चुग, अशोक शर्मा, मोहित गुप्ता एवं गिरिराज अग्रवाल सहित अनेकों लोगों ने कहा कि सरकार द्वारा आरडब्ल्यूए के क्षेत्र में विकास कार्य कराते समय उनकी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए वहां की आरडब्ल्यूए को भी उसमें अवश्य शामिल किया जाना चाहिए आरडब्लूए को भी उस कार्य की लागत सहित पूरी जानकारी दी जानी चाहिए। साफ-सफाई गारवेज इत्यादि के टेंडरों/अनुबंधों की पूरी जानकारी वहां की आरडब्ल्यूए को होनी चाहिए और जिस भी आरडब्ल्यूए के क्षेत्र में निगम कर्मचारी काम कर रहे हों उनकी हाजरी की जिम्मेदारी वहां की आरडब्ल्यूए को ही दी जानी चाहिए तथा इन सभी की पेमेंट करने से पहले आरडब्ल्यूएज से संतुष्टिकरण का प्रमाणपत्र अनिवार्य किया जाना चाहिए। प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही सम्बन्धित कंपनी को भुगतान होना चाहिए।
वैश्य फाऊंडेशन (महालक्ष्मी मन्दिर) प्रधान दिनेश अग्रवाल सहित सैक्टर निवासियों ने हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से आग्रह किया है कि जिला परिषद प्रधान व पार्षद, पंचायत समिति प्रधान, नगरपालिका प्रधान तथा नगरनिगम मेयर व पार्षदों की भांति ही तमाम सैक्टरों की आरडब्ल्यूएज को भी कुछ फंड्स व प्रधानों को कुछ मानदेय निर्धारित किए जाएं। ये मानदेय कोई वेतन नहीं अपितु आवभगत, आना-जाना, किराया-भाड़ा इत्यादि में खर्च हो जाता है। आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहीं आरडब्ल्यूएज को यदि सरकारी फंड मिलना शुरू हो जाएगा तो सैक्टर से सम्बद्ध तमाम क्षेत्रों के विकास कार्यों में तेजी आ सकेगी।
““आरडब्ल्यूए के प्रधान व अन्य सभी प्रतिनिधि भी सांसदों, विधायकों, पार्षदों, पंचों या सरपंचों की भांति ही उसी प्रक्रिया के द्वारा सरकार द्वारा निर्मित एवं लागू एक्ट्स और बाय-लाज के अनुसार ही चुनकर आते हैं चुनाव जीतकर आते हैं उसी तरह से सभी कार्य भी करते हैं आज डीजल पेट्रोल इतना महँगा होने के बाबजूद इन्हें प्रशासनिक अधिकारियों के पास अथवा उनके ऑफिसों में अनेकों चक्कर लगाने पड़ते हैं, मोबाईल सहित अन्य खर्चे भी होते हैं। और इनसे सरकार/प्रशासन भी समय-समय पर अनेकों तरह की मदद लेते रहते हैं तो फिर आरडब्ल्यूए अध्यक्षों को भी उनकी भांति मान-सम्मान, अधिकार, सुविधाएं, मानदेय व आरडब्ल्यूए को सरकार से फंड्स क्यों नहीं मिलते??””
- दिनेश अग्रवाल, प्रधान वैश्य फाऊंडेशन (महालक्ष्मी मन्दिर, गुरुग्राम)