आंखें नम, दिल में गम, भाव विभोर विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का आलम।

 आंखें नम, दिल में गम, भाव विभोर विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का आलम।

भाजपा जिला अध्यक्ष कमल यादव की अगुवाई में बोधराज सीकरी ने किया "गुमनाम शहीद" कार्यक्रम का आयोजन


कांग्रेस की हठधर्मिता के कारण भारत ने झेली विभाजन विभीषिका : बोधराज सीकरी



गुरुग्राम। कल 18 अगस्त, रविवार को भाजपा जिला अध्यक्ष कमल यादव की अगुवाई में गुमनाम शहीद का नाटकीय रूपांतरण सेक्टर 44 के अपैरल हाउस में प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और आयोजक बोधराज सीकरी प्रदेश संयोजक एनजीओ प्रकोष्ठ, सहसंयोजक धर्मेन्द्र बजाज अर्जुन मंडल अध्यक्ष, डॉ परमेश्वर अरोड़ा संयोजक गुरुग्राम एनजीओ प्रकोष्ठ रहे। 


डॉ. अशोक दिवाकर शिक्षाविद ने विभाजन विभीषिका के ऊपर अपना वक्तव्य रखा और श्री कन्हैया लाल आर्य, आर्य जगत के सिरमौर ने अपने आंखों देखे दृश्यों का वर्णन किया। इसी प्रकार व्योवृद्ध श्री एस.आर. बवेजा ने भी अपनी आपबीती कहानी सुनाई। नाटक बहुत ही दर्दनाक और हृदयविदारक था। लोगों की आंखों में अश्रुधारा थी। इस नाटक के डायरेक्टर एंड प्रोड्यूसर अरुण मरवाहा रहे, जो एक उम्दा कलाकार भी हैं और मशहूर एक्टर राजकुमार राव इनके शिष्य हैं। यह ड्रामा प्रस्तुति मेगा स्टार एकेडमी ऑफ ड्रैमेटिक आर्ट्स द्वारा की गई। 


बता दें कि इस हॉल की कैपेसिटी 400 है लेकिन 100 से अधिक लोग सीढ़ियों के ऊपर और बालकनी में खड़े थे। सभी के हाथ में झंडे थे, कार्यक्रम का प्रारंभ करने से पूर्व बोधराज सीकरी ने विभाजन की विभीषिका के ऊपर प्रारंभिक टिप्पणी दी और माननीय प्रधानमंत्री महोदय का आभार प्रकट किया, जिन्होंने लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त 2021 को घोषणा की थी की ये जो त्रासदी विभाजन के समय हुई, हर वर्ष 14 अगस्त विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया जायेगा। सभी ने मिलकर राष्ट्रगीत के ऊपर अपना तिरंगा लहराया और बोधराज सीकरी ने सभी से प्रार्थना की तिरंगे का मान और सम्मान किया जाए। उसे नीचे ना रखा जाए। सब इसे अपनी गोदी में रखें और कार्यक्रम के उपरांत उसे लपेटकर के बड़े सम्मान के साथ अपने घर लेकर जाएं। उसके बाद एक घंटे की विशेष प्रस्तुति रही और एक घंटे के बाद राष्ट्रगान के साथ इस आयोजन का समापन हुआ।


बोधराज सीकरी ने अपने अंतिम भाषण में बताया कि विभाजन का जो चर्चा का केंद्र था वो लाहौर था और रावी नदी का तट था। जब विभाजन हो गया लाहौर भी रोया और रावी नदी भी रोई की हमें क्यों नहीं साथ लेकर गए। ननकाना साहब भी रोया और ढाका भी रोया और करांची भी रोई। हमने सिंध नदी को छोड़ा सिंधु घाटी सभ्यता को भी छोड़ा। सतलुज, व्यास, रावी, झेलम और चेनाब इन पांच नदियों के संगम को पंचनद कहते हैं। कांग्रेस ने विभीषण का काम किया। यद्यपि विभीषण राम भक्त था परंतु लंका में और भारत में कोई भी नाम अपने बच्चे का नहीं रखता। इसी कांग्रेस ने विभाजन करके लोगों को पीड़ा पहुंचाई। देश के सभी राज्यों के सभी युवाओं को राष्ट्रवाद से जाग्रत करना चाहिए तभी हमारे युवा का भविष्य उज्ज्वल होगा। 


बोधराज सीकरी ने आगे कहा की विश्व के अंदर कई विभाजन हुए परंतु ऐसा भयावह त्रासदी वाला विभाजन नहीं हुआ। बोधराज सीकरी के कथनानुसार ये दूसरा महाभारत था। अखंड भारत से लंका अलग हुआ, बर्मा अलग हुआ, नेपाल अलग हुआ, भूटान, बांग्लादेश , पाकिस्तान, अफगानिस्तान, मालदीव, म्यांमार, तिब्बत आदि। अब हम इस समय जो हमारा भारत है उसे खंडित नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि हर युवा को अपने आपको संस्कारवान बनाना चाहिए और इस प्रकार की पुनरावृत्ति न हो जो आज बांग्लादेश के अंदर हो रही है इसके लिए हमें एकजुट होना चाहिए।


इस आयोजन में भाजपा से श्री अजित भारद्वाज, दयानंद मंडल अध्यक्ष, अर्जुन मंडल अध्यक्ष श्री धर्मेन्द्र बजाज, जिला उपाध्यक्ष श्रीमती सीमा पाहुजा, जिला मंत्री श्री वशिष्ठ, जिला विस्तारक डॉ. भान सिंह नेगी, अनिल यादव, संजय टंडन, सिद्धार्थ मौजूद रहे।


विशेष अतिथि में श्री जगदीश ग्रोवर, श्री अशोक दिवाकर, श्री के.एल आर्य, श्री अशोक आर्य की उपस्थिति रही।


कार्यक्रम सहयोगियों में श्री दिनेश नागपाल, श्री संजीव कुमार, श्री शेखर तनेजा, श्री नरेश चावला, श्री ओम प्रकाश कथूरिया ने आयोजन को सफल बनाने में सार्थक भूमिका निभाई 


अन्य गणमान्य व्यक्तियों में श्री कंवर भान वधवा, श्री लेख राज चावला, श्री सी.बी मनचंदा, श्री बी.डी पाहुजा, श्री राम लाल ग्रोवर, डॉ. परमेश्वर का अरोड़ा, श्री प्रमोद सलूजा, श्री गजेन्द्र गोसाईं, श्री अनिल कुमार, श्री सतपाल नासा, श्री किशोरी लाल डुडेजा, श्री रमेश कामरा, श्री युधिष्ठिर अलमादी, श्री संजय तनेजा, श्री रमेश मुंजाल, श्री सौरभ सचदेवा, पूरन चावला, जगदीश रखेजा, दत्ता राम हंस, निर्मल मलिक, ओम प्रकाश बंधु, बाल कृष्ण खत्री, चंद्रभान नागपाल, कंवर भान मनचंदा, किशन चंद गम्भीर, भोला नाथ चावला, राजेंद्र बजाज, सुभाष ग्रोवर, रवि मनोचा, अशोक गेरा, प्रीतम चंद वर्मा मौजूद रहे।


महिला वर्ग की ओर से ज्योत्सना बजाज, सुरेश सीकरी, शील सीकरी, पुष्पा नासा, सिमरन बजाज, शशि बजाज, रचना बजाज, उष्मा सचदेवा, उपासना सचदेवा, श्नीतू सिंह, कृष्णा देवी ने सहभागिता की।

Previous Post Next Post

نموذج الاتصال