रतन टाटा के निधन से देश को अपूरणीय क्षति: दीपक मैनी

 


- उद्योग जगत के एक महान युग का अंत

- उनका जीवन सफल उद्योगपति से आदर्श मानवतावादी तक का सफर

गुरुग्राम,  10 अक्टूबर 2024: भारत के महान उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के निधन से देश को एक बड़ी क्षति हुई है। उनके निधन पर पीएफटीआई (प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री) के चेयरमैन दीपक मैनी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि रतन टाटा का जाना न केवल भारत के उद्योग जगत बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है।


दीपक मैनी ने अपने संदेश में कहा, रतन टाटा ने अपने जीवनकाल में भारतीय उद्योग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनकी नेतृत्व क्षमता, ईमानदारी और दृढ़ निश्चय ने टाटा समूह को वैश्विक मंच पर स्थापित किया। उन्होंने भारतीय कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का साहस और आत्मविश्वास दिया।


रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से उच्च शिक्षा प्राप्त की और 1991 में टाटा समूह की बागडोर संभाली। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं, जिनमें टाटा मोटर्स द्वारा जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण और टाटा स्टील द्वारा ब्रिटिश कंपनी कोरस का अधिग्रहण प्रमुख हैं। उनकी दूरदर्शिता और समाज कल्याण के प्रति समर्पण ने उन्हें न सिर्फ एक सफल उद्यमी बल्कि एक आदर्श मानवतावादी भी बनाया।


मैनी ने कहा कि रतन टाटा का योगदान केवल उद्योग तक सीमित नहीं था। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण कार्य किए। उनके प्रयासों से लाखों लोगों का जीवन सुधरा है। उनका जाना भारत के लिए एक युग का अंत है। रतन टाटा की विरासत और उनके सिद्धांत आने वाले पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे। उनका निधन निस्संदेह एक युगांतकारी क्षण है, और उनकी कमी हमेशा खलेगी।

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