मकरसक्रांति पर्व 2025 की विशेषताएँ जानिए ज्योतिर्विद राघवेंद्ररविश राय गौड़ से

मकर संक्रांति का दिन भगवान सूर्य की पूजा के लिए समर्पित है।

इस वर्ष पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा।

दान को समर्पित होता हे यह पर्व ।

दक्षिणायन हो जाते हे भुवन भास्कर ।

तिल ,गुड के सेवन का पर्व ।

कुंभ के कारण और भी महत्व पूर्ण हो गया हे पर्व । 


सनातन  पंचांग के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा . पंचांग के अनुसार, भगवान सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी को दिन के 2:58 बजे प्रवेश कर जाएंगे।


मकर संक्रांति पर्व विशेष संयोग

मकर संक्रांति के दिन पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बना रहा है। यह संयोग 10 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। इसके बाद पुष्य नक्षत्र शुरू होगा। ज्योतिष के मुताबिक सालों बाद मकर संक्रांति पर पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इस समय काले तिल का दान करने से शनि की बाधा से मुक्ति की प्राप्ति होगी। इस दौरान बालक और कौलव करण संयोग भी निर्मित हो रहे हैं। शिववास योग का निर्माण हो रहा है 


सनातन  पंचांग के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा . पंचांग के अनुसार, भगवान सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी को दिन के 2:58 बजे प्रवेश कर जाएंगे।


इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। सूर्य के उत्तरायण होने पर खरमास भी समाप्त हो जाएगा और सारे मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, दान-पुण्य और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करके भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति के जीवन में हर तरह कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और जीवन में सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।



 मकर संक्रांति पर्व पर पवित्र नदियों में स्नान, दान और पूजन को विशेष महत्व माना गया है. इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं. साथ ही धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं. मकर राशि में भगवान आदित्य  के प्रवेश करने के कारण ही इस पर्व को मकर संक्रांति कहा जाता है. इस पर्व के साथ ही करीब एक महीने से जारी खरमास समाप्त होता है और रूके हुए सभी शुभ कार्य एक बार फिर से प्रारम्भ  हो जाएँगे .. 

साथ ही साथ इस दिन भगवान सूर्य एक माह के लिए अपने पुत्र शनि के घर आते हैं।

चंद्र मान में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार मकर संक्रांति है।  इस त्योहार से वसंत ऋतु का आगमन हो जाता है। यह भारतीय परंपराओं में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। 


विशेष :- मकर संक्रांति  के शुभ अवसर पर हमें सूर्य पूजा और माघ नक्षत्र पूजा करनी चाहिए और साथ ही पवित्र मंत्रों का जाप करना चाहिए। संक्रांति के अवसर पर हमें विवाह, स्त्री पुरुष को सहवास , शरीर पर तेल लगाना, हजामत बनाना/बाल काटना, और नए उद्यम शुरू करने जैसे कार्यों से बचना चाहिए।


मकर संक्रांति सूर्य पूजा विधि

मकर संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे और दिन की शुरुआत भगवान विष्णु और सूर्य देव के ध्यान से करें। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करें। अगर नदी में स्नान करना संभव नहीं हैं, तो नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। नहाने के बाद तांबे के लोटे में अक्षत और फूल डालकर भगवान सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। इस दौरान निम्न मंत्र का जाप करें। ऊँ सूर्याय नम: ऊँ खगाय नम:, ऊँ भास्कराय नम:, ऊँ रवये नम:, ऊँ भानवे नम:, ऊँ आदित्याय नम: इसके बाद सूर्य स्तुति का पाठ करें। बता दें कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना करना बेहद शुभ होता है। इसलिए इस दिन सूर्य की उपासना अवश्य करें।


मकर संक्रांति और उसका ज्योतिषीय महत्व

मकर संक्रांति  का धार्मिक महत्व भी कहीं न कहीं इसके ज्योतिषीय महत्व के साथ ही जुड़ा है। मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति का त्योहार ऋषियों और योगियों के लिए उनकी आध्यात्मिक यात्रा में एक नई पहल के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। सामान्य तौर पर, लोग मकर संक्रांति को नए समय की शुरूआत और अतीत की बुरी और भयानक यादों को पीछे छोड़ा देने का दिन भी मानते हैं। इस दिन का एक और पहलू यह है कि इस शुभ दिन पर सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते है। सूर्य की यह स्थिति अत्यंत शुभ होती है। धार्मिक दृष्टि से इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि देव के साथ सभी मुद्दों को छोड़कर उनके घर उनसे मिलने आते हैं। इसलिए मकर संक्रांति का दिन सुख और समृद्धि से जुड़ा है।


क्या है उत्तरायण और दक्षिणायन ?

उत्तरायण देवताओं का दिन है और दक्षिणायन देवताओं की रात्रि है. दक्षिणायन की तुलना में उत्तरायण में अधिक मांगलिक कार्य किए जाते हैं. ये बड़ा शुभ फल देने वाले होते हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने खुद गीता में कहा है कि उत्तरायण का महत्व विशिष्ट है. उत्तरायण में प्राण त्यागने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही वजह थी कि भीष्म पितामाह भी दक्षिणायन से उत्तरायण की प्रतीक्षा करते रहे. सूर्य जब कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तो दक्षिणायन शुरू हो जाता है और सूर्य जब मकर में प्रवेश करते ही उत्तरायण प्रारंभ हो जाता है! 


कैसे प्रसन्न होंगे भगवान (सूर्य) आदित्य नारायण

मकर संक्रांति पर सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. यह व्रत भगवान सूर्य नारायण को समर्पित है. इस दिन भगवान को तांबे के पात्र में जल, गुड़ और गुलाब की पत्तियां डालकर अर्घ्य दें. गुड़, तिल और मूंगदाल की खिचड़ी का सेवन करें और इन्हें गरीबों में बांटें. इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करना भी बड़ा शुभ बताया गया है. आप भगवान सूर्य नारायण के मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं.


दान पर्व पर विशेष

मकर संक्रांति के दिन दान को महादान की श्रेणी में आंका जाता है. इस दिन किए गए दान से महापुण्य की प्राप्ति होती है. मकर संक्रांति के दिन तिल, गुड़, खिचड़ी, कंबल, घी जैसी चीजें जरूरतमंदों और ब्रह्मण को दान देना शुभ माना जाता है.

इस दिन तीर्थ धाम पर नदी या सरोवर में आस्था की डुबकी लेने का बड़ा महत्व बताया गया है. यदि किसी कारणवश आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो पानी में गंगाजल, तिल और थोड़ा सा गुड़ मिलाकर स्नान कर लें. मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान करने का बहुत महत्व. इस दिन तिल गुड़ खाना और तिल का दान करना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन किया गया दान इस जीवन में तो सुख समृद्धि लाता है, बल्कि कई जन्मों तक इसका पुण्‍य फल मिलता है.


तिल का दान : मकर संक्रांति को तिल संक्रांति भी कहा जाता है. इस दिन तिल का दान करना बहुत लाभ देता है. इससे शनि दोष दूर होता है. इसके अलावा इस दिन भगवान विष्णु, सूर्य और शनि देव की पूजा भी करनी चाहिए.


कंबल का दान: मकर संक्रांति के दिन गरीब व्यक्ति को कंबल का दान करें. इससे राहु दोष दूर होता है. गरीब, असहाय, जरूरतमंद लोगों को  कंबल का दान करें.


गुड़ का दान: गुड़ को गुरु ग्रह से जोड़ा गया है.  इस दिन गुड़ का दान करना कुंडली में गुरु ग्रह को मजबूत करेगा और जीवन में सौभाग्य, सुख-समृद्धि देगा. 


खिचड़ी का दान: मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने का बहुत महत्‍व है. इसलिए इसे खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है. मकर संक्रांति की खिचड़ी में चावल, उड़द की दाल और हरी सब्जियों का उपयोग किया जाता है, ये चीजें शनि, बुध, सूर्य और चंद्रमा से जुड़ी हुई हैं. इस दिन खिचड़ी खाना और दान करना इन सभी ग्रहों की कृपा दिलाता है. 


घी का दान: मकर संक्रांति के दिन घी का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि घी को सूर्य और गुरु ग्रह से जोड़कर देखा जाता है. 


जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महद्युतिं।

तमोरिसर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरं॥


ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते।

अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:॥


नारायण नारायण 

राघवेंद्ररविशराय गौड़ 

ज्योतिर्विद 

9926910965

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