आचार्य लोकेशजी के कर कमलों से "जैन अभिनव दीक्षा" का समापन हुआ
भगवान महावीर दर्शन प्रकृति और संस्कृति के संरक्षण का समर्थन करता है – राज्यपाल गुजरात
आचार्यश्री ने जैन धर्म और भारतीय संस्कृति का गौरव विश्व स्तर पर बढ़ाया है - हर्ष संघवी गृह मंत्री
आत्मसंयम ही आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने का मार्ग है - मुमुक्षु चेतन
अहमदाबाद/नई दिल्ली, 7 फरवरी, 2025: अहिंसा विश्व भारती एवं विश्व शांति केंद्र के संस्थापक जैन आचार्य लोकेशजी के कर कमलों से अहमदाबाद में जैन अभिनव दीक्षा सानंद का समापन हुआ। अभिनव दीक्षा समारोह के मुख्य अतिथि गुजरात के माननीय राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी, गुजरात के गृह मंत्री श्री हर्ष संघवी ने जैन आचार्य लोकेश जी से दीक्षा लेने पर मुमुक्षु चेतन को बधाई दी। इस अवसर पर सरदार वल्लभभाई पटेल स्मारक (पुराना राजभवन) में अत्यंत समसामयिक एवं प्रासंगिक विषय 'प्रकृति एवं संस्कृति के संरक्षण के लिए भगवान महावीर दर्शन' पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
गुजरात के राज्यपाल माननीय आचार्य देवव्रत जी ने राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान महावीर दर्शन के माध्यम से प्रकृति और संस्कृति का संरक्षण संभव है। उन्होंने कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा ने हजारों वर्षों से हमारी धार्मिक मान्यताओं और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखा है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में जैविक खेती एक महत्वपूर्ण कदम है, पर्यावरण, जल, पृथ्वी और लोगों के स्वास्थ्य को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाना आवश्यक है। राज्यपाल ने कहा कि आचार्य लोकेश जी ने भारतीय संस्कृति और पर्यावरण के संरक्षण के लिए जो कार्य किया है, वह सराहनीय है।
जैन आचार्य लोकेशजी ने कहा कि जैन धर्म के 22 वें तीर्थंकर भगवान अरिष्टनेमि, जो भगवान कृष्ण के चचेरे भाई हैं, की पावन जन्मस्थली सौरीपुर बटेश्वर में जन्मे मुमुक्षु चेतन को दीक्षा देते हुए मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। मुमुक्षु चेतन भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय, वर्कतुल्ला विश्वविद्यालय, गोवा विश्वविद्यालय और गोवा राजभवन में सैद्धांतिक और व्यावहारिक योग सिखाने के बाद अब विश्व शांति केंद्र के माध्यम से भगवान महावीर दर्शन को जन-जन तक पहुंचाएंगे।
गुजरात के गृहमंत्री श्री हर्ष संघवी ने कहा कि जैन सिद्धांतों पर आधारित जीवनशैली अपनाकर अनेक वैश्विक समस्याओं का समाधान संभव है। आचार्यश्री लोकेश जी ने भगवान महावीर के अहिंसा, अपरिग्रह, एकता, करुणा और संयम के सिद्धांतों को विश्व जन तक पहुंचाकर जैन धर्म और भारतीय संस्कृति का गौरव बढ़ाया है।
मुमुक्षु चेतन ने कहा कि संयम आधारित जीवनशैली आंतरिक शांति के साथ-साथ सामाजिक समरसता का मार्ग भी प्रशस्त करती है।
अभिनव जैन दीक्षा समारोह एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी को स्वामी नारायण के प्रमुख पूज्य स्वामी श्री माधवप्रिय दास जी, जैन दिगंबर परंपरा से क्षुल्लक योगभूषण जी, जैन श्वेतांबर परंपरा से श्री विवेक मुनि जी, पदमश्री डॉ. कुमारपाल देसाई, श्रुत रत्नाकर के निदेशक श्री जितेंद्र शाह, प्रख्यात परोपकारी श्री चंद्र प्रकाश चोपड़ा, कार्यक्रम संयोजक श्री नरेश सालेचा, डॉ. रूप कुमार अग्रवाल ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर श्री पीआर कांकरिया, श्री लूनचंद कांकरिया, श्री संपतराज चौधरी, श्री बाबूलाल कावड़, श्री बजरंगलाल अग्रवाल, डॉ. राकेश जोशी, श्री ओमप्रकाश मेहता, डॉ. विष्णु मित्तल, डॉ. हसमुख अग्रवाल, श्री भूपतराज कंटर, श्री किशोर जैन, श्री रतनलाल हालावाला, श्री अशोक कुमार बाफना, श्री गौरांग भगत उपस्थित थे।
रिपोर्ट-मिहिर शिकारी, गुजरात